हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों में हुआ उलटफेर, हारी हुई बाज़ी जीती भारतीय जनता पार्टी

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Image Source: Lallantop

08 अक्टूबर, मंगलवार, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों के नतीजे आए। अनुमानित नतीजों से बिल्कुल उलट परिणाम देखने को मिले। चुनाव में पिछड़ती दिख रही भारतीय जनता पार्टी ने परिणामों में बहुमत पाकर सबको चौंका दिया। नतीजों में भारतीय जनता पार्टी ने 90 सीटों की विधानसभा में 46 का आंकड़ा पार किया। बीजेपी ने विधानसभा की 48 सीटों पर जीत दर्ज कर तीसरी बार अपनी सरकार बनाने का दावा किया। वहीं कांग्रेस को सिर्फ 37 सीटों से संतुष्ट रहना पड़ा, रिजनल पार्टी INLD को सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली और बाकी 3 सीटों पर अन्य का कब्जा रहा। हरियाणा विधानसभा में जीत दर्ज कर बीजेपी ने इतिहास रच दिया है। बीजेपी इतिहास की पहली पार्टी बनी जिसने हरियाणा में लगातार तीन बार अपनी सरकार बनाई। हरियाणा में चुनाव से पहले कांग्रेस की लहर चल रही थी। सभी मीडिया हाउस, पोलिंग कंपनियों ने दावे किए थे कि इस बार कांग्रेस आसानी से हरियाणा में सरकार बनाएगी। कई सर्वे यही बता रहे थे कि बीजेपी के साथ तीन साल की विरोधी लहर [एंटी इन्कम्बेंसी] के साथ ही किसानों, जाटों, जवानों और पहलवानों की नाराज़गी भी थी। कांग्रेस ने किसान आंदोलन, अग्निवीर, पहलवानों का आंदोलन और जाटों की नाराज़गी को पूरे चुनाव का मुद्दा बनाया। चुनाव से पहले कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही थी पर परिणाम के दिन पूरा खेल बदल गया।

बीजेपी ने कैसे पलटे नतीजे
भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रबंधन से कांग्रेस लहर की काट की। काफी समय पहले ही बीजेपी को ये समझ आ गया था कि 10 साल की विरोधी लहर [एंटी इन्कम्बेंसी] उनके साथ है। हरियाणा की जनता की नाराज़गी मनोहरलाल खट्टर के खिलाफ देखने को मिल रही थी, उन्हीं के शासनकाल में ही किसान आंदोलन और जाटों की नाराज़गी देखने को मिली थी। उस नाराज़गी को दूर करने के लिए बीजेपी ने खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाया, और उनके स्थान पर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री पद सौंपा। नायब सिंह सैनी एक ओबीसी के बड़े नेता थे, उनके ज़रिये बीजेपी नॉन जाटों के वोटों को साधना चाहती थी, और नतीजों में उनका ये कदम उनके पक्ष में रहा। बीजेपी ने लोकसभा चुनावों से सीख लेकर इस बार टिकट वितरण में ज्यादा ध्यान दिया। बीजेपी ने कई बड़े नेताओं के टिकट काटे और सही उम्मीदवारों को टिकट दिए, जो उनके पक्ष में आया। बीजेपी ने एक-एक सीट पर बारीक काम किया। बीजेपी का प्रबंधन और कम्युनिकेशन काफी सटीक रहा। उनके कार्यकर्ताओं ने बीजेपी को ज़मीनी स्तर पर मजबूती दिलाई। कई स्टार प्रचारकों ने भी चुनावों पर अपनी छाप छोड़ी, जिनमें खुद पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी, सीएम मोहन यादव और भी कई बड़े नेताओं ने हरियाणा में जमकर प्रचार किया। कड़े प्रयासों से अंत में नतीजे बीजेपी के पक्ष में आए। बीजेपी ने साफ कर दिया है कि नायब सिंह सैनी ही उनकी तीसरी बार की सरकार के मुख्यमंत्री बनेंगे।

कांग्रेस के हाथों से छूटी बाज़ी
लोकसभा चुनावों के परिणामों में कांग्रेस ने 10 में से 05 सीटें जीती थीं, वहां से कांग्रेस ने माहौल बनाना शुरू कर दिया था कि विधानसभा में बीजेपी पूरी तरह साफ हो जाएगी। शायद कांग्रेस ने चुनाव और बीजेपी को हल्के में ले लिया। कांग्रेस किसान, जवान, पहलवान, जाटों के मुद्दों को लेकर अति आत्मविश्वासी थी, जिसका खामियाज़ा उन्हें भुगतना पड़ा। कांग्रेस पार्टी अंदरूनी कलेश के कारण भी पिछड़ गई। पार्टी के बड़े नेता एक-दूसरे के विरुद्ध हो गए। सबके अंदर सीएम बनने की चाह थी, फिर चाहे वो भूपेन्द्र हुड्डा हों, सुरजेवाला हों या कुमारी सैलजा, सभी को सीएम बनना था। उस चाह ने कांग्रेस को चुनाव में पीछे कर दिया। भूपेन्द्र हुड्डा और कुमारी सैलजा के बीच की अनबन जगजाहिर थी। कुमारी सैलजा को चुनाव न लड़ने देना कांग्रेस की गलती थी। इस वजह से कांग्रेस के दलित वोटर उनसे दूर हो गए। कांग्रेस ने I.N.D.I गठबंधन पर भी भरोसा नहीं जताया। आम आदमी पार्टी से गठबंधन ना करना उनकी बड़ी गलती थी। कांग्रेस इस चुनाव को माहौल और जुमलों के सहारे जीतना चाहती थी, कांग्रेस का ज़मीनी प्रबंधन काम नहीं आया। चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर इवीएम [EVM] को लेकर आरोप लगाए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता जयराम रमेश और पवन खेड़ा ने कहा, “यह तंत्र की जीत है, लोकतंत्र की नहीं। पार्टी नतीजों को स्वीकार नहीं करती।”

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा और जयराम रमेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए आरोप लगाया कि हरियाणा के नतीजे बहुत अप्रत्याशित हैं, इसको हम स्वीकार नहीं कर सकते। कई जिलों से गंभीर शिकायतें आई हैं। पवन खेड़ा ने कहा,“कि नतीजे चौंकाने वाले हैं और ज़मीनी स्तर पर हमने जो देखा, उसके बिल्कुल विपरीत हैं। हमें अपने कार्यकर्ताओं से मतगणना से संबंधित शिकायतें मिल रही हैं। जल्द ही हम औपचारिक शिकायत दर्ज कराएंगे। यह तंत्र की जीत है, लोकतंत्र की नहीं। हम यह स्वीकार नहीं कर सकते।” जयराम रमेश ने कहा कि हम एक या दो दिन में चुनाव आयोग के पास जाएंगे और औपचारिक शिकायत दर्ज कराएंगे। स्थानीय अधिकारियों पर दबाव था। कई सीटें ऐसी हैं, जहां हम हार ही नहीं सकते थे, लेकिन वहां हम हारे हैं। नतीजे भावनाओं के खिलाफ हैं। जम्मू-कश्मीर ने स्पष्ट जनादेश दिया है। हम राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए काम करेंगे। एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार किया जाएगा। “जयराम ने आगे कहा कि यह लोगों की इच्छा के विरुद्ध और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विरुद्ध जीत है। यह लोगों की इच्छा के विरुद्ध और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विरुद्ध जीत है। हिसार, पानीपत और महेंद्रगढ़ समेत चार जिलों में मतगणना प्रक्रिया बाधित हुई है। 12-14 सीटों पर गंभीर सवाल उठ गया है, उम्मीदवारों के द्वार जहां मशीन ठीक से काम नहीं कर रही थी। हम चुनाव आयोग के पास जाएंगे और इन जिलों में ईवीएम की कार्यप्रणाली को लेकर अपनी शिकायत चुनाव आयोग को सौंपेंगे।”

कांग्रेस के I.N.D.I गठबंधन के सहयोगी दलों ने कांग्रेस पर साधा निशाना

शिवसेना ने कहा “हरियाणा की हार से महाराष्ट्र कांग्रेस को भी सीख लेने की जरूरत है।” शिवसेना ने कहा कि कांग्रेस ने हरियाणा में आप या अन्य दलों से गठबंधन नहीं किया, जिसके चलते उसे हार का सामना करना पड़ा। जबकि जम्मू-कश्मीर में गठबंधन का फायदा दिखा। शिवसेना ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस को पता है कि जीत को हार में कैसे बदलना है। शिवसेना ने कहा कि हरियाणा की हार कांग्रेस के ओवर कॉन्फिडेंस और राज्य नेतृत्व के अहंकार का नतीजा है। हुड्डा ने नॉन जाट वोटर्स को साथ नहीं लिया, जिसका खामियाज़ा भुगतना पड़ा। सीपीआई नेता डी. राजा ने कहा, “इंडिया गठबंधन ने एकसाथ चुनाव नहीं लड़ा, जिसका बीजेपी को फायदा हुआ। इंडिया गठबंधन दलों को सोचने की जरूरत है कि ऐसा क्यों हुआ। अगर साथ रहते तो बीजेपी की सरकार नहीं बनती। कांग्रेस को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।” दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि हरियाणा के लोग बीजेपी को हराना चाह रहे थे, लेकिन कांग्रेस में कमी रह गई। कांग्रेस की रणनीति में कमी रही। एकजुटता की कमी रही। कांग्रेस को आत्ममंथन करने की जरूरत है। एनसीपी की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा होगा, लेकिन वैसा नहीं हुआ। तो अब कांग्रेस से बात करेंगे। उनसे जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर क्या गलतियां हुईं ताकि फिर से वो गलतियां नहीं करें। इसके अलावा अरविन्द केजरीवाल, संजय राउत, प्रियंका चतुर्वेदी, उमर अब्दुल्ला ने भी कांग्रेस को नसीहत दी।

जम्मू-कश्मीर में अनुमान के अनुसार रहे परिणाम

जम्मू-कश्मीर में नतीजे अनुमान के अनुसार रहे। चुनाव से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन को बहुमत मिलता दिखाया जा रहा था, अंत में नतीजे भी उनके पक्ष में रहे। बात नतीजों की करें तो नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 90 में से 42 सीटें जीतीं और उनके गठबंधन साथी कांग्रेस सिर्फ 6 सीटें ही जीत पाई। कांग्रेस का प्रदर्शन जम्मू-कश्मीर में भी खराब रहा। बहरहाल एनसी और कांग्रेस के गठबंधन को बहुमत मिल गया। जम्मू-कश्मीर में दूसरे नंबर की पार्टी रही बीजेपी, जिसे 90 में से 29 सीटें मिलीं। बीजेपी का जम्मू रिजन में अच्छा प्रदर्शन रहा, पर वो कश्मीर रिजन में अपना कमाल नहीं दिखा पाई। कश्मीर रिजन से बीजेपी के लिए एक अच्छी खबर जरूर रही, कश्मीर में बीजेपी का वोट प्रतिशत पहले के मुकाबले इस बार काफी बढ़ा है। बीजेपी के कई उम्मीदवार मुस्लिम बहुल इलाकों में मामूली 1000 वोट के मार्जिन से हारे, जो बीजेपी के लिए अच्छी खबर है। बात करें वोट प्रतिशत की तो भारतीय जनता पार्टी पूरे जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत प्राप्त करने वाली पार्टी रही। पूरे जम्मू-कश्मीर में बीजेपी का वोट प्रतिशत 25.64 रहा, वहीं सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस 23.43 वोट प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर रही।

Team Profile

Himanshu Sangliya
Himanshu SangliyaFreelance Journalist
Himanshu Sangliya, holding a degree in Journalism at the graduation level and a postgraduate degree in Economics, is characterized by a strong work ethic and a persistent eagerness to acquire new skills. Journalism holds a special place in his heart, and he envisions his future flourishing within this dynamic field.

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