वैश्विक तनावों की चपेट में शांति — क्या शुरू हो चुका है तीसरा विश्व युद्ध?

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अंतिम बार पूरे विश्व में युद्ध का माहौल 80 साल पहले बना हुआ था जब पूरी धरती द्वितीय विश्व युद्ध की चपेट में थी। 2 सितंबर 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ था। तब से अब तक दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। शांति बहाल करने के लिए विश्व में कई संगठन बनाए गए, जो दुनिया में शांति स्थापित कर सकें और विश्व युद्ध जैसे घातक परिणामों को टाल सकें, पर धीरे-धीरे पूरी दुनिया एक बार फिर विश्व युद्ध की ओर बढ़ती जा रही है।
आज दुनिया के कई हिस्सों में बड़े-बड़े राष्ट्र आपस में तनावपूर्ण स्थिति में जकड़े हुए हैं। एक तरफ रूस-यूक्रेन युद्ध है, जो लगभग 3 साल से चलता आ रहा है, जिसमें तनाव कम होने की कोई उम्मीद दिखाई नहीं देती। वहीं बात करें भारत-पाकिस्तान के बीच चले 4 दिन के युद्ध की, जिसमें आतंकवादी स्टेट पाकिस्तान बार-बार भारत को उकसाने का काम करता रहता है और मुँह की खाता है। बात युद्ध की करें तो दोनों देशों के बीच युद्धविराम हुआ है, खत्म नहीं हुआ।
भारत के प्रधानमंत्री ने साफ कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है। दूसरी ओर, इज़रायल ने अलग-अलग तीन युद्ध फ्रंट खोल रखे हैं जहां वह हमास, फिलिस्तीन और ईरान से लड़ रहा है, अब उस लड़ाई में अमेरिका भी कूद पड़ा है।
हाल ही में चल रहा इज़रायल-ईरान युद्ध धीरे-धीरे अपना स्वरूप बढ़ाता जा रहा है। पहले इज़रायल ने ईरान के न्यूक्लियर अड्डों, न्यूक्लियर साइंटिस्ट्स, ईरान के आर्मी चीफ, ईरान के लॉन्च पैड को निशाना बनाया, जिसके जवाब में ईरान ने इज़रायल के रिहायशी इलाकों और अस्पतालों को निशाना बनाया है। इज़रायल का एकमात्र उद्देश्य है ईरान को न्यूक्लियर ताकत नहीं बनने देना, वहीं ईरान किसी भी हाल में न्यूक्लियर पावर बनना चाहता है। इसी लड़ाई में अब अमेरिका की भी एंट्री हो गई है। अमेरिका पूरी तरह इज़रायल के पक्ष में खड़ा है। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने बयान में कहा है कि ईरान के पास एकमात्र विकल्प है सरेंडर करने का, वरना ईरान खात्मे के लिए तैयार रहे।
पहले और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी इसी तरह दो देशों की लड़ाई शुरू हुई और धीरे-धीरे देशों के अलायंस बने और युद्ध विश्व युद्ध में बदल गया। उसी संदर्भ में आज की परिस्थिति को देखा जाए तो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देशों के अलायंस बने हैं। बात रूस-यूक्रेन युद्ध की करें तो एक तरफ रूस है, जिसके साथ बेलारूस, चाइना, ईरान, नॉर्थ कोरिया, म्यांमार जैसे देश खड़े हैं, दूसरी ओर यूक्रेन है, जिसके साथ यूके, यूएस, ईयू और NATO शामिल हैं।
इज़रायल-ईरान युद्ध की बात करें तो इज़रायल के साथ अमेरिका, जर्मनी, यूके, फ्रांस, कनाडा, इटली, सर्बिया, नीदरलैंड खड़े हैं, वहीं ईरान के साथ अरब वर्ल्ड, जिसमें सीरिया, लेबनान, कुवैत, इराक, रूस, चाइना खड़े हैं। इसी तरह विश्व में जहां भी युद्ध हो या वैसी परिस्थिति बनी हो, वहाँ अपने आप देशों के अलायंस बन जाते हैं और उसका निष्कर्ष अंत में युद्ध ही होता है।
अगर आज विश्व युद्ध जैसी परिस्थिति बनती है तो दुनिया का नुकसान पहले और दूसरे विश्व युद्ध से कहीं ज्यादा दर्दनाक होगा। पहले दोनों युद्धों के मुकाबले आज युद्ध हथियारों के स्वरूप और उनकी घातकता में इज़ाफा हुआ है, साथ ही आज न्यूक्लियर अटैक विश्व के लिए सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है। हर हिस्से में बिखरे तनावों के बीच आँखों पर पट्टी नहीं बाँधी जा सकती। इस बात से बिल्कुल संदेह नहीं होना चाहिए कि विश्व धीरे-धीरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ता जा रहा है।
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- Himanshu Sangliya, holding a degree in Journalism at the graduation level and a postgraduate degree in Economics, is characterized by a strong work ethic and a persistent eagerness to acquire new skills. Journalism holds a special place in his heart, and he envisions his future flourishing within this dynamic field.
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