रीवा ज़मीन घोटाला: फर्जीवाड़े से ज़मीन हड़पने का मामला, तहसीलदार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

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रीवा, मध्य प्रदेश – रीवा ज़िले में एक गंभीर राजस्व घोटाले का मामला सामने आया है, जिसमें तहसीलदार शिव शंकर शुक्ला और पटवारी अनामिका समेत राजस्व विभाग के कई अधिकारी संलिप्त बताए जा रहे हैं। आरोप है कि एक मृतक व्यक्ति को ‘निर्वंश’ घोषित कर उसकी पूरी ज़मीन उसके भाई के नाम कर दी गई और फिर वह ज़मीन दो अन्य महिलाओं — आशा सिंह और राधा सिंह — को बेच दी गई।
डॉ. नीरज पाठक की मृत्यु के बाद, उनके भाइयों ने उन्हें निर्वंश साबित कर दिया जबकि उनकी पत्नी और दो बेटे जीवित हैं। न केवल उन्हें परिवार से बाहर कर दिया गया, बल्कि उनकी पूरी ज़मीन भी धोखे से उनके भाइयों ने अपने नाम पर ट्रांसफर करवा ली। इसके बाद, उक्त ज़मीन का दो प्लॉट सुंदर नगर, रीवा निवासी आशा सिंह और राधा सिंह को बेच दिया गया।
डॉ. नीरज पाठक की पत्नी को उनके ही पति की हत्या के मामले में उम्रकैद की सज़ा दिलवा दी गई, जबकि उनके दो नाबालिग बेटे अब न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं। वे पिछले 9 महीनों से रीवा तहसील और कलेक्टर कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कहीं भी उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है।
पीड़ित परिवार का दावा है कि तहसीलदार शिव शंकर शुक्ला ने उनसे भी ₹80,000 से ₹90,000 तक की रिश्वत ली और कहा कि ज़मीन दोबारा उनके नाम पर चढ़ा दी जाएगी। इसके समर्थन में पीड़ित के पास ऑडियो क्लिप भी मौजूद है, जो उन्होंने बतौर सबूत रिकॉर्ड की है।
आरोपों में शामिल अधिकारी और मिलीभगत:
- पंकज पाठक, जिनका नाम ज़मीन से जुड़े कई दस्तावेज़ों में सामने आया है, इस घोटाले में प्रमुख भूमिका में हैं।
- पटवारी अनामिका, जो संबंधित हल्के की ज़िम्मेदार हैं, को तहसीलदार की सबसे करीबी अधिकारियों में माना जा रहा है।
- तहसीलदार शिव शंकर शुक्ला पर कई संपत्तियों में अवैध हिस्सेदारी रखने और रीवा में भ्रष्टाचार फैलाने का आरोप है।
यह भी आरोप लगाया गया है कि तहसीलदार शिव शंकर शुक्ला को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, भले ही भ्रष्टाचार और अन्याय के स्पष्ट प्रमाण मौजूद हों।
पीड़ित पक्ष द्वारा यह मामला यूट्यूब वीडियो के माध्यम से सार्वजनिक किया गया है, देखें वीडियो:
रीवा ज़िले का यह मामला केवल ज़मीन हड़पने का नहीं, बल्कि न्यायिक और प्रशासनिक प्रणाली में गहराई तक फैले भ्रष्टाचार का प्रतीक बन चुका है। पीड़ित परिवार अब मुख्यमंत्री और उच्च न्यायालय से इस मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगा रहा है।
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