महाराष्ट्र-राजनीति में हलचल! राज-उद्धव एकजुट? सुप्रिया सुले ने कहा – ‘परिवार के फैसले का करेंगे सम्मान’

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महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल के बादल मंडरा रहे हैं। शिवसेना के दो धड़ों के नेता और चचेरे भाई राज ठाकरे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख) और उद्धव ठाकरे (शिवसेना (उद्धवबालठाकरे) प्रमुख) के बीच संभावित गठबंधन को लेकर तेज चर्चाएं शुरू हो गई हैं। यह अटकलें तब और बलवती हो गई हैं जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की वरिष्ठ नेता सुप्रिया सुले ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह “परिवार के किसी भी फैसले का सम्मान करेंगी।”
सूत्रों के अनुसार, हाल के दिनों में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच कुछ गुप्त मुलाकातें हुई हैं, जिनसे यह संकेत मिल रहा है कि दोनों नेता विपक्षी एकजुटता को मजबूत करने और महाराष्ट्र में मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन (भाजपा-शिवसेना (शिंदे) एवं एनसीपी (अजित पवार)) को चुनौती देने के लिए एक साथ आ सकते हैं। यह संभावना 2022 में शिवसेना के विभाजन और उद्धव ठाकरे के सत्ता से बाहर होने के बाद के राजनीतिक समीकरणों में एक बड़ा बदलाव ला सकती है।
इन अटकलों पर एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले (शरद पवार की बेटी) ने गुरुवार (07 जून) को एक महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया दी। आज तक से बातचीत में सुले ने कहा, “यह उनका (ठाकरे परिवार) निजी मामला है। हमारे परिवार का उनके परिवार के साथ बहुत पुराना रिश्ता रहा है। अगर वे (ठाकरे परिवार) कोई फैसला लेते हैं तो हम उसका सम्मान करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार हमेशा से ही विपक्ष की एकता के पक्षधर रहे हैं। सुले के इस बयान ने इस बात के संकेत दिए कि पवार परिवार ठाकरे भाइयों के बीच किसी समझौते या गठबंधन का विरोध नहीं कर सकता है।
इन विकासों ने राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर राज और उद्धव ठाकरे वास्तव में एकजुट होते हैं, तो इससे महाराष्ट्र में विपक्ष, विशेषकर महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) का मोर्चा, काफी मजबूत हो सकता है। यह गठजोड़ मराठा आरक्षण जैसे मुद्दों पर भी एक साझा रुख विकसित कर सकता है। हालांकि, कुछ विश्लेषक इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि अभी यह केवल अटकलें हैं और किसी भी औपचारिक घोषणा से पहले स्थिति स्पष्ट होनी बाकी है। साथ ही, दोनों धड़ों के कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया भी एक अहम कारक होगी।
गौरतलब है कि राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना छोड़कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) का गठन किया था। 2019 के विधानसभा चुनावों में एमएनएस ने शिवसेना (उद्धव) के खिलाफ चुनाव लड़ा था, जिसे भाजपा-शिवसेना (शिंदे) गठबंधन के टिके रहने में एक कारक माना गया था। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 2022 में विद्रोह के बाद सत्ता गंवा दी थी। अब इन दोनों चचेरे भाइयों के बीच संभावित सुलह राज्य की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ सकती है। सभी की निगाहें अब अगले कुछ दिनों में होने वाले विकासों पर टिकी हैं।
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- News Writer
- रोहित यादव दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली स्कूल ऑफ़ जर्नलिज़्म से पत्रकारिता में स्नातक हैं और वर्तमान में वहीं से स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। न्यूज़ इंडिया ऑफिशियल पर प्रकाशित सभी लेख उनके इंटर्नशिप का हिस्सा हैं, जो वह न्यूज़ इंडिया ऑफिशियल के साथ कर रहे हैं।
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