दोनों सदनों में पास हुआ वक्फ संशोधन बिल, जल्द कानून बनेगा वक्फ संशोधन; देश से मिल रही मिली-जुली प्रतिक्रिया

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गुरुवार, 3 अप्रैल, देर रात राज्य सभा में वक्फ संशोधन बिल 2024 पास किया गया। दो दिनों के भीतर सरकार ने राज्यसभा और लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पास करवाया। सबसे पहले लोकसभा में 2 अप्रैल को बिल पेश किया गया था, जहां 288 के बहुमत से सरकार ने बिल पास करवाया।
अगले दिन राज्यसभा में पेश किए गए विधेयक को 128 के बहुमत से पास करवाया गया। वक्फ बिल पास होने के बाद अब विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद पास हुए बिल को लोकसभा के पटल पर रखा जाएगा, उसके बाद सरकार की नोटिफिकेशन के साथ विधेयक कानून में परिवर्तित हो जाएगा। बिल पास होने के बाद से देश के कोने-कोने से मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने मिल रही है। एक मुस्लिम पक्ष इस बिल के समर्थन में दिखाई दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ कई जगह बिल के विरोध में प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक बिल संसद से पास करवाए हैं। उसी श्रृंखला में वक्फ संशोधन बिल भी जुड़ गया। वक्फ संशोधन बिल आखिरी बार 2013 में संशोधित किया गया था। तब यूपीए सरकार केंद्र में थी, उस संशोधन में सरकार ने वक्फ को कई शक्तियां प्रदान की थीं, जिसका आने वाले समय में कई बार दुरुपयोग किया गया था। पर अब वक्फ संशोधन 2024 में कई परिवर्तन किए गए हैं, कई सीमाएं निश्चित की गई हैं, ताकि शक्तियों का हनन न हो और वक्फ का फायदा नीचे तबके के मुसलमानों तक पहुंचाया जाए। मोदी सरकार ने बिल को दोनों सदनों में आसानी से पास करवाया।
कयास लगाए जा रहे थे कि एनडीए के सहयोगी दल, जिसमें नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की पार्टी हैं, वे दोनों बिल के समर्थन में नहीं थे। पर दोनों सदनों में नीतीश और चंद्रबाबू की पार्टी सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही। बिल पास होने के बाद नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को मुस्लिम संगठनों का विरोध सहना पड़ रहा है। दरअसल, दोनों पार्टियां सेक्युलर पॉलिटिक्स करती आई हैं, नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ने हमेशा मुस्लिम पक्ष की हिमायत की है। दोनों पार्टियों पर बिल का समर्थन न करने का दबाव बनाया जा रहा था क्योंकि फिलहाल मोदी सरकार इन दो पार्टियों के समर्थन से ही खड़ी है। पर दोनों पार्टियों ने सरकार को बिल पास करवाने में पूरा सहयोग दिया।
नीतीश कुमार के लिए है बड़ी चुनौती–
नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) हमेशा से सेक्युलर पॉलिटिक्स करती आ रही है। जेडीयू ने हमेशा मुस्लिम पक्ष की हिमायत की है। उनके वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा मुस्लिम पक्ष की तरफ से आता है। बिल पास होने के बाद मुस्लिम पक्ष नीतीश कुमार से थोड़ा नाराज़ दिखाई दे रहा है। वहीं बिहार चुनाव सिर पर है, ऐसे में मुस्लिम पक्ष की नाराज़गी नीतीश कुमार के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है।
बिल पास होने के बाद विपक्ष की रणनीति–
वक्फ बिल को लेकर विपक्ष का रवैया शुरुआत से ही स्पष्ट था। पूरा विपक्ष एक साथ मिलकर बिल का पुरज़ोर विरोध कर रहा था। विपक्ष के कई नेताओं ने अपने भाषण में बिल को संविधान के विरुद्ध बताया। कई सांसदों ने बिल पर प्रश्नचिह्न लगाए। विपक्ष की हर पार्टी के लगभग समान सवाल रहे। विपक्ष का कहना है कि वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम की भागीदारी नहीं होनी चाहिए, बिल के आने से देश में ज़मीन से जुड़े मुक़द्दमों की बाढ़ आ जाएगी, बीजेपी देश में हिंदू-मुस्लिमों में झगड़े लगाने का प्रयास कर रही है, सरकार जबरन मुस्लिमों को परेशान कर रही है, सरकार मुस्लिमों को टारगेट कर रही है, सरकार मुस्लिमों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाना चाहती है — इस तरह के कई सवाल विपक्ष की तरफ से सरकार पर दागे गए।
बिल पास होने के बाद विपक्ष की रणनीति स्पष्ट दिखाई दे रही है। विपक्ष बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा, जिसकी शुरुआत कांग्रेस के सांसद मोहम्मद जावेद ने की है। मोहम्मद जावेद ने वक्फ बिल को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
कानूनी लड़ाई के अलावा विपक्ष सड़कों पर विरोध प्रदर्शन जारी रखेगा और बिल के खिलाफ खड़ा रहेगा, जिस तरह CAA के समय शाहीन बाग किया गया था, उसी तरह वक्फ बिल के खिलाफ प्रदर्शन कर सरकार पर दबाव बनाया जाएगा।
देश के कई हिस्सों में सुरक्षा बल तैनात–
बिल पास होने के बाद यह तय था कि देश के अलग-अलग हिस्सों में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। सभी राज्यों की सरकारों ने पहले से ही सारी तैयारियां कर रखी थीं। कई संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बल को तैनात किया गया था। सुरक्षा व्यवस्था के बीच कई जगह शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया, जिसमें यूपी के कई इलाके शामिल रहे। संभल, मेरठ, लखनऊ जैसे कई क्षेत्रों में शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन हुआ। वहीं कुछ राज्यों में प्रदर्शन उग्र हुआ, जिसमें बंगाल, गुजरात, रांची शामिल रहे। गुजरात में प्रदर्शन के दौरान 50 लोगों को हिरासत में लिया गया। वहीं बंगाल में भी प्रदर्शन काफी उग्र दिखाई दिया।
सरकार को प्रयास करना होगा कि वक्फ बिल की सच्चाई ज़मीनी स्तर तक पहुंचे–
वक्फ बिल को लेकर मुस्लिम समुदाय में काफी भ्रम देखने मिल रहा है। आम मुस्लिम के पास बिल को लेकर सही जानकारी नहीं है। कुछ लोग उन मुस्लिमों को भड़काने और बिल के खिलाफ खड़ा करने का काम कर रहे हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें यह बताया जा रहा है कि इस बिल के ज़रिए सरकार उनकी मस्जिदों, दरगाहों को हड़प लेगी, जो सच्चाई से कोसों दूर है। सरकार का यह फ़र्ज़ बनता है कि वह बिल से जुड़ी झूठी बातों को खारिज करे और बिल की सच्चाई ज़मीनी स्तर तक पहुंचाए ताकि किसी भी तरह का भ्रम न फैले और देश में शांति बनी रहे।
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- Freelance Journalist
- Himanshu Sangliya, holding a degree in Journalism at the graduation level and a postgraduate degree in Economics, is characterized by a strong work ethic and a persistent eagerness to acquire new skills. Journalism holds a special place in his heart, and he envisions his future flourishing within this dynamic field.
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