बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और उनके परिवार की NGO पर बड़ा खुलासा — सेवा या सत्ता का खेल?

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बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा और उनके परिवार की NGO पर बड़ा खुलासा — सेवा या सत्ता का खेल?

Image Source: Shilpanchal Today

एक तरफ बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतराम प्रकाश नड्डा का राजनीतिक कद लगातार ऊंचाइयों को छू रहा है, तो दूसरी तरफ चुपचाप, लेकिन तेज़ी से, उनके परिवार द्वारा संचालित एक NGO भी केंद्र की योजनाओं में गहरी पैठ बना रही है। सवाल यही है—क्या यह महज संयोग है या फिर सत्ता की छतरी के नीचे रिश्तों की फसल लहलहा रही है?

जेपी नड्डा का जन्म पटना में हुआ, लेकिन राजनितिक सफर उन्होंने हिमाचल प्रदेश से शुरू की।। ABVP से शुरुआत, फिर तीन बार विधायक और राज्य सरकार में मंत्री बनने के बाद 2014 में मोदी सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बने। 2019 में बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष और 2020 में पूर्ण अध्यक्ष बनने के बाद उनका राजनीतिक ग्राफ लगातार ऊंचा होता गया।

नड्डा की पत्नी मल्लिका नड्डा, एक NGO Indian Social Responsibility Network (ISRN) की संयोजक हैं। यह संस्था सरकारी सेवानिवृत्त अधिकारियों के सहयोग से सामाजिक योजनाओं को ज़मीन पर उतारती है। लेकिन रिपोर्ट्स की माने तो यह NGO केंद्र सरकार की कई योजनाओं में शामिल रही—चाहे वह स्वच्छ भारत अभियान हो या COVID टीकाकरण का प्रचार।

विशेष बात यह है कि ISRN को कई अहम मंत्रालयों और संस्थानों से MoU मिलते रहे हैं, और इसके पीछे नड्डा के राजनीतिक रसूख को अनदेखा करना मुश्किल है।

नड्डा कई मौकों पर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, RJD, DMK जैसी पार्टियों में “परिवारवाद आधारित” बताकर निशाना साधते रहे हैं। 2023 के एक भाषण में उन्होंने कहा था — “बीजेपी कार्यकर्ताओं की पार्टी है, न कि परिवारवाद की दुकान।”

लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं कि जब नड्डा परिवारवाद के विरोधी हैं, तो उनके अपने परिवार द्वारा चलाया जा रहा NGO सरकारी तंत्र में इतनी गहराई तक कैसे पहुंच गया?

नड्डा पर पहले भी विवाद उठते रहे है, जैसे:

  • 2014 में, एम्स के पूर्व CVO संजीव चतुर्वेदी को हटाने को लेकर नड्डा पर उंगलियां उठीं।
  • ISRN में नियुक्तियों और सरकारी सहयोग को लेकर पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं।
  • NGO के कई वरिष्ठ पदों पर पूर्व IAS और सरकारी अधिकारियों की मौजूदगी इसे ‘सरकारी नेटवर्किंग क्लब’ जैसा रूप देती है।

राजनीतिक विश्लेषण: संयोग, सुविधा या संरचना?

पहलूजे.पी. नड्डाISRN (NGO)
भूमिकाभाजपा अध्यक्षपत्नी संचालिका
प्रभाव क्षेत्रराष्ट्रीय राजनीति, नीति निर्माणसरकारी योजनाओं में भागीदारी
आरोपपरिवारवाद का विरोध, लेकिन निजी लाभराजनीतिक पहुंच से लाभ

राजनीति के गलियारों में यह चर्चा तेज है कि जब सत्ता किसी के पास होती है, तो क्या “सेवा” के नाम पर संगठन चलाना नैतिक तौर पर सही है?

जेपी नड्डा के नेतृत्व में बीजेपी ने कई राज्यों में जीत दर्ज की है। वे एक संगठित, अनुशासित और रणनीतिक नेता माने जाते हैं। लेकिन उनके परिवार से जुड़े NGO की गतिविधियां उनके राजनीतिक नैतिकता के दावों पर सवाल खड़े कर रही हैं।

क्या यह वही ‘परिवारवाद’ नहीं है, जिसकी आलोचना नड्डा मंचों से करते रहे हैं?

Team Profile

रोहित यादव
रोहित यादवNews Writer
रोहित यादव दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली स्कूल ऑफ़ जर्नलिज़्म से पत्रकारिता में स्नातक हैं और वर्तमान में वहीं से स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। न्यूज़ इंडिया ऑफिशियल पर प्रकाशित सभी लेख उनके इंटर्नशिप का हिस्सा हैं, जो वह न्यूज़ इंडिया ऑफिशियल के साथ कर रहे हैं।

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