2024 चुनाव में तीसरे मोर्चे की अहमियत
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Image Source: Indiaspend
2024 का चुनाव जैसे-जैसे निकट आ रहा है वैसे-वैसे राजनीतिक घटनाक्रम भी बदल रहा है। एक तरफ जहां भाजपा और उसके सभी घटक दल चुनावी तैयारी में जोर-जोर से लग गए हैं। वहीं विपक्षी गठबंधन भी चुनावी तैयारी में लगा हुआ है, लेकिन अब की बार का चुनाव थोड़ा दिलचस्प नजर आ रहा है, क्योंकि यहां सिर्फ दो ही मोर्चे नहीं बल्कि तीसरे मोर्चे की अहमियत भी साफ-साफ नजर आ रही है। थर्ड फ्रंट या फिर तीसरा मोर्चा एक अहम किरदार अदा कर सकता है क्योंकि ऐसी स्थिति में जहां बहुमत फंसी हुई हो वहां पर तीसरे मोर्चे को सब अपनी तरफ लाने की कोशिश से करेंगे और तीसरा मोर्चा किंग मेकर की भूमिका में आएगा तो इसीलिए इसकी अहमियत चुनाव के लिहाज से बढ़ जाती है।
लेकिन अभी तक यह है साफ नहीं है कि तीसरे मोर्चे में कौन-कौन होगा। अगर हम थोड़ी गहराई से देखें तो हमें पता लगता है कि तीसरे मोर्चे में कौन-कौन शामिल हो सकता है, यहां पर अनेक नाम सामने आते हैं, सबसे पहले उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा अध्यक्ष मायावती का जो कि उत्तर प्रदेश में अपना एक अलग वोट बैंक अपने साथ रखती हैं और उनकी अहमियत भी इसीलिए बढ़ जाती है क्योंकि उनका वोट बैंक हमेशा उनके साथ देता है चाहे वह कितनी भी सीट जीते, लेकिन उनके बिना किसी भी पार्टी को उत्तर प्रदेश में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
दूसरी तरफ अगर हम देखें तो दूसरा जो नाम सामने आता है, वह है, एआईएमआईएम के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी। कई लोग मानते हैं कि उनका वोट बैंक सिर्फ हैदराबाद तक ही सीमित है, लेकिन हमने बिहार में देखा है कि उन्होंने वोट बैंक को अपनी तरफ किया और कई सारे विधायक उनकी पार्टी के चुनकर विधानसभा में भी आए। वह ना तो भाजपा और एनडीए के साथ है, ना ही विपक्षी गठबंधन के साथ है। उनका कहना है कि भाजपा के साथ उनके विचारधारा मिल नहीं खाती और विपक्षी गठबंधन बड़े नेताओं का क्लब है। इसीलिए वह अभी इस गठबंधन में शामिल नहीं होंगे। और कुछ नाम सामने आते हैं जिनकी चर्चा काफी आम है राजनीतिक गलियारों में है कि वह तीसरे मोर्चे में जा सकते हैं।
जैसे कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी जो कि ना तो एनडीए का घटक दल है और ना ही विपक्षी गठबंधन का हिस्सा। वह अपने क्षेत्र में काफी ज्यादा प्रभाव डाल सकते हैं। एक और नाम सामने आता है जो की उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का है, जो बीजू जनता दल के अध्यक्ष है और उनकी पार्टी का उड़ीसा में काफी अच्छा खासा वोट बैंक भी है। इन दोनों ही नेताओं (जगनमोहन रेड्डी और नवीन पटनायक) के भाजपा और एनडीए से काफी अच्छे संबंध हैं। चाहे राष्ट्रपति चुनाव हो या अविश्वास प्रस्ताव इन्होंने एनडीए के खिलाफ वोट नहीं दिया है तो इससे यह पता लगता है कि इनका झुकाव एनडीए की तरफ है, लेकिन शायद यह भी तीसरे मोर्चे की तरफ रुख कर सकते हैं।
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- News Writer
- Utkarsh Tyagi is a dedicated student with a fervent passion for journalism. His commitment to the field is evident in his pursuit of knowledge and skills in the realm of media and communication. Utkarsh aspires to contribute meaningfully to the world of journalism, driven by a genuine interest in staying informed and sharing impactful stories. With a keen eye for detail and a thirst for knowledge, he is poised to make a mark in the ever-evolving landscape of journalism.
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