रोटी, कपड़ा और मकान से ऊपर “वो”

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Image Source: ChatGpt AI

हमारे जीवन में एक समय था, जब रोटी, कपड़ा और मकान सबसे अधिक अहमियत रखते थे। हालांकि, आज भी इन जरूरतों का अपना महत्व है। लेकिन यह सोचना ज़रूरी है कि अब इनसे ऊपर एक और चीज़ हमारे जीवन में अधिक मायने रखने लगी है। वह ऐसी चीज़ है, जिसके बिना इंसान अपनी कल्पना भी नहीं कर सकता। एक समय था, जब इंसान रोटी, कपड़े और छत के बिना रह सकता था, लेकिन इस नई जरूरत के बिना बिल्कुल भी नहीं। दरअसल, यह जरूरत और कुछ नहीं बल्कि इंटरनेट है।

इंटरनेट, जिसे मानवजाति ने विकसित किया और इसे अपनी सबसे बेहतरीन खोजों में से एक माना।

अब सोचने की बात यह है कि आखिर कैसे और कब इंटरनेट हमारी जरूरत बन गया, और क्यों आज यह चिंता का विषय बन चुका है? इस सवाल पर कई विद्वानों ने अपने विचार साझा किए हैं, जिनमें से अधिकांश का संबंध इसके विस्तार से है।

सन् 1990 के दशक की शुरुआत में, जब दुनिया के अधिकांश देश साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर बढ़ रहे थे, तब इंटरनेट का विस्तार सीमित दायरे से बाहर निकलकर अन्य देशों में भी होने लगा। इन देशों में अधिकांश विकासशील थे, जिन्होंने इसे अपने विकास के लिए अहम मान लिया। लेकिन इन देशों ने कभी नहीं सोचा था कि यही इंटरनेट आगे चलकर उनके लिए मुसीबत बन जाएगा। आज इंटरनेट अपने विकास के साथ कई संकटों को भी आमंत्रित कर रहा है।

हालांकि, विकसित देश भी इंटरनेट के दुष्प्रभावों से जूझ रहे हैं। लेकिन उनकी सशक्त नीतियां उन्हें इन संकटों से बचाने में मदद कर रही हैं। वहीं, विकासशील देशों में इस दिशा में अभी भी प्रयासों की कमी है। यही कारण है कि विकसित और विकासशील देशों के बीच एक बड़ा अंतर है।

इंटरनेट के फायदे और नुकसान

आज, जहां इंटरनेट मानव जाति को सहूलियतें देता है, वहीं यह उनके मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचा रहा है। सायबर धोखाधड़ी और सायबर बुलीइंग जैसे गंभीर अपराध इंटरनेट की ही देन हैं। डार्क वेब का संचालन हो रहा है, जहां आपराधिक और अनैतिक गतिविधियां अंजाम दी जा रही हैं। अश्लील सामग्री का प्रसार हो रहा है, जिससे यौन अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है।

इंटरनेट आज हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। इसके बिना कामकाज और जीवन बिताना मुश्किल हो गया है। आंकड़ों के मुताबिक, 2023 के अंत तक दुनिया की कुल आबादी में से 460 करोड़ लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे थे। आने वाले समय में यह संख्या और भी बढ़ने का अनुमान है।

भारत और चीन जैसे देशों में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या सबसे अधिक है। चीन में हर चार में से तीन लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, जबकि भारत दुनिया में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का दूसरा सबसे बड़ा देश है।

तकनीकी विकास और इंटरनेट

हम तकनीकी क्षेत्रों में तेजी से विकसित हो रहे हैं, और इंटरनेट भी इस विकास का अहम हिस्सा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग इंटरनेट के क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है। उदाहरण के लिए, चैटबॉट्स का निर्माण, जो इंसानी प्रतिक्रियाओं को हूबहू प्रस्तुत करने में सक्षम हैं।

एआई का उपयोग यूजर्स की पसंद-नापसंद समझने के लिए भी किया जा रहा है। इसमें डीप लर्निंग मुख्य भूमिका निभाता है, जो मशीन लर्निंग की एक उपश्रेणी है। यह तकनीक डेटा में पैटर्न और त्रुटियों को पहचानती है, जिससे एआई को मानव मस्तिष्क के तंत्रिका नेटवर्क की नकल करने की क्षमता मिलती है।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, इंटरनेट दिन-प्रतिदिन बेहतर हो रहा है और यह बात इसे और आकर्षक बनाती है। इसके जरिए हम कुछ ही मिनटों में बड़े से बड़ा काम निपटा सकते हैं। लेकिन, इस सुविधा की क्या कीमत है? यह सोचना ज़रूरी है।

इंटरनेट ने हमारे जीवन को सुगम बनाया है, लेकिन इसके दुष्प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके उपयोग में संतुलन और सजगता बेहद जरूरी है। जैसा कि बी.एफ. स्किनर ने कहा था: “थकाने वाले श्रम को रोकने के लिए प्रौद्योगिकी विकसित की गई थी, लेकिन यह अब तुच्छ सुविधाओं के लिए समर्पित हो गई है।”

यह कथन हमारे इंटरनेट उपयोग के संदर्भ में बेहद प्रासंगिक है।

हमें इंटरनेट का इस्तेमाल समझदारी और संतुलन के साथ करना चाहिए, ताकि इसके लाभ हमारे जीवन को संवारें, न कि हमें नुकसान पहुंचाएं।

Team Profile

Nikhil Rastogi
Nikhil RastogiNews Writer
Nikhil Rastogi, a dynamic Journalist and Media enthusiast with a strong foundation in journalism. After graduating in Mass Communication from the Institute of Mass Communication and Media Technology, Kurukshetra University, Kurukshetra, he is currently pursuing his Master's in Journalism and Mass Communication from University of Lucknow. His passion for storytelling is evident from his regular contribution of informative articles to various media outlets. He has also contributed as a writer and journalist for reputed media organisations like Amar Ujala, Jansatta and The Pioneer.

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