मुलायम सिंह यादव: राजनीतिक संघर्षों से लेकर समाजवादी नेता तक का सफर

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राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का समय नज़दीक आ रहा है लेकिन अगर राम मंदिर के इतिहास की बात करें तो एक किरदार ऐसा है जो इससे बहुत गहराई से जुड़ा हुआ है वह किरदार है मुलायम सिंह यादव का जो कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के पूर्व रक्षा मंत्री थे। आज हम मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक जीवन की बात करेंगे।
अगर बात करें मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक जीवन की तो उनका राजनीतिक जीवन संघर्षों और विवादों के साथ-साथ परितोषिकों से भी भरा हुआ रहा। जहां पर उन्हें उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव से निकलकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का सफर तय करना था वहां पर उन्हें एक ऐसी विचारधारा जो कि इतनी लोकप्रिय नहीं थी समाजवादी विचारधारा उसको लेकर अपनी पार्टी को खड़ा करना और अपनी खुद की पार्टी की बलबूते पर सरकार बनाना भी उनके लिए चुनौती थी।
लेकिन उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के लिए चुनौतियां जहां उनका इंतजार कर रही थी वहीं पर संविधान के सबसे बड़े पदों में से कुछ पद उनका इंतजार कर रहे थे। मुलायम सिंह यादव शुरुआत से ही राजनीति में नहीं थे वह स्कूल मास्टर से लेकर पहलवान तक रहे थे और कहीं सोशलिस्ट जैसे कि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की विचारधारा से प्रभावित होकर समाजवादी विचारधारा से जुड़ने का फैसला किया।
पहली बार मुलायम सिंह यादव 1960 के दशक में विधायक बने थे जब वह 1967 में जसवंत नगर से विधायक बने थे चौथी विधानसभा में। उस समय उनके गांव के हर एक आदमी ने उनके साथ दिया और उन्हें चुनाव लड़ने में मदद की चाहे वह आर्थिक मदद हो चाहे वह किसी भी तौर पर मदद हो।
मुलायम सिंह यादव विधायक बनने के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हैं 1989 मे और कुल मिलाकर मुलायम सिंह यादव तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और देवगौड़ा सरकार में वह रक्षा मंत्री भी रहे।और वह कुल मिलाकर 10 बार विधायक और सात बार के लोकसभा सांसद भी रहे।
मुलायम सिंह यादव के बारे में एक बात प्रचलित थी कि वह हर एक कार्यकर्ता जो उनसे मिला है उसका नाम उन्हें व्यक्तिगत तौर पर याद रहता था। उन्हें धरतीपुत्र का नाम भी दिया गया था क्योंकि वह जमीन से जुड़े हुए नेता थे और जमीन से जुड़े हुए होने के कारण उन्हें काफी ज्यादा जनता ने प्यार भी दिया।
लेकिन मुलायम सिंह यादव के जीवन में काफी सारे विवाद भी रहे जैसे कि अयोध्या में कार सेवकों पर गोली चलवाने का फैसला या फिर भाजपा की रथ यात्रा रोकना।
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