भारतीय प्रवासी दिवस: देश भर के प्रवासी शक्ति का गर्व और महत्व

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भारतीय प्रवासी दिवस

प्रवासी भारतीय कौन होते है?

  • जो लोग भारत छोड़कर विश्व के दूसरे देशों में जा बसे हैं उन्हे प्रवासी भारतीय कहते हैं ।

इतिहास 

  • इस तिथि को ‘भारतीय प्रवासी दिवस’ के रूप में मनाने की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि कुछ इस प्रकार है कि –
  • ’18वीं शताब्दी में बहुत से गुजरात के व्यापारी  अन्य देशों में बसने लगे थे’
  • इन्हीं देशों में  केन्या , साउथ अफ्रीका जैसे देश थे । इन गुजराती व्यापारियों में से एक थे , दादा अब्दुल्ला सेठ;  जिनके कानूनी प्रतिनिधियों  में महात्मा गांधी भी थे । एक प्रवासी भारतीय होने के नाते , महात्मा गांधी ने जो दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष के रास्ते पर चलकर रंगभेद नीति और अप्रवासी भारतीयों की लड़ाई लड़ी वह अप्रतिम है ।
  • इसी ऐतिहासिक घटना को चिन्हित करते हुए ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ मनाने का निर्णय एल एम सिंघवी की अध्यक्षता में गठित कमिटी के सिफारिश पर भारत सरकार ने लिया।
  • भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री, श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने   9 जनवरी 2002 को “प्रवासी भारतीय दिवस” ​​(पीबीडी) की घोषणा की थी । 

♦ इस दिवस  को मनाने के उद्धेश्य:

  • किसी भी देश के नागरिक दुनिया के अन्य देशों में बौद्धिक, सांस्कृतिक,सामाजिक और भाषाई संपदा के प्रतिनिधि होते है।
  • यह दिवस अपने इसी सम्पदा को सम्मान देने के लिए है।
  • भारत के परिपेक्ष्य में देखें तो  एक चर्चित शब्द उभरता है जिसे ‘इंडियन डायस्पोरा ‘ कहते है , भारतीय प्रवासी  विभिन्न देशों में बसे है और वे उस देश की आर्थिक ,राजनीतिक , सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों मे ख़ासा प्रभाव रखते है।
  •  चूंकि इन प्रवासियों में कामगार , व्यापारी, विद्यार्थी और तकनीक और चिकित्सा क्षेत्र से इंजीनियर ,डॉक्टर और विशेषज्ञ शामिल हैं।
  • ये भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक प्रहरी भी हैं चूंकि इनके द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था में जो पैसे आते है । उसका मूल्य तकरीबन 80 बिलियन डॉलर है ।
  • सयुंक्त राष्ट्र की 2017 की वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट के अनुसार करीब 15 मिलियन भारतीय कामगार विदेशों में बसे है।
  •  इसलिए इस दिवस को मनाने का उपलक्ष्य प्रवासी भारतीय समुदाय के जुड़ाव को मजबूत करने और उन्हें अपनी जड़ो से जोड़ना भी प्रमुख उद्देश्यों में शामिल है ।
  • इस वर्ष प्रवासी भारतीय दिवस की थीम “आत्मनिर्भर भारत में योगदान” है।
  •  प्रवासी भारतीय दिवस समारोह कोरोनावायरस महामारी के बीच ऑनलाइन आयोजित किया गया।
  • जब हम बात करते है ,  21वीं सदी में आधुनिकता एवं कंप्यूटरकृत तकनीक के बारे में , तो प्रवासी भारतीयों का समूचे विश्व में कोई तोड़ नही । प्रवासी भारतीय  विकसित देशों की बड़ी कंपनियों और वैश्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण संस्थानों में उच्च पदों पर कार्यरत है।  चाहे वो वो वर्ल्ड इकनोमिक फोरम हो या  गूगल हो , माइक्रोसॉफ्ट हो , ट्विटर हो , जहां प्रवासी भारतीयों ने अपने कर्मठता और मेहनत के बल पर अपनी छाप छोड़ी है ।
  • इन्ही उद्देश्यों को विस्तार देने के लिए प्रत्येक दो वर्षों में एक बार यह दिवस 7-9 जनवरी को मनाया जाता है ।

-शुभम कुमार

नयी दिल्ली

Team Profile

Shubham KumarContent Editor
Shubham Kumar, a disciple of journalism, hails from Patna, Bihar. He graduated from the prestigious Delhi School of Journalism, affiliated with the University of Delhi. Shubham is known for his candid and responsible writing style, displaying a firm grasp of topics related to policy, health, environment, and youth.

Advocating for increased youth participation in journalism, Shubham firmly believes in practicing reliable, rational, and fair journalism. He is deeply committed to upholding these principles. Shubham is convinced that in a democratic country, journalism should have the freedom to express, write, and think in the public interest, even while being cautious of actions that may undermine the fundamental pillars of democracy.

1 thought on “भारतीय प्रवासी दिवस: देश भर के प्रवासी शक्ति का गर्व और महत्व

  1. काफी आसान भाषा में आपने एक महत्वपूर्ण बात को समझाए है । बहुत अच्छा लगा पढ़ कर ,कई जटिल पहलू एनआरआई बारे में समझ आई। धन्यवाद 🙏इस तरह के विषयों पर लिखते रहे और हमे ज्ञानवर्धित करते है।🙏

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