देश भर में भारत बंद का आह्वान; SC, ST, OBC समुदायों का सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रदर्शन
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Image credit: Navbharat Times
आज देश के अलग-अलग हिस्सों में भारत बंद का आह्वान है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग के समुदाय सुप्रीम कोर्ट के क्रीमीलेयर फैसले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। देश के कई हिस्सों में दुकानों और बाजारों को बंद रखा गया है। जो दुकानदार आंदोलन के समर्थन में नहीं हैं, उनकी दुकानों को जबरन बंद करवाया जा रहा है। कई जगह मायावती की बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता अपना विरोध जता रहे हैं। आंदोलन को अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने भी समर्थन दिया है। इसके अलावा, कांग्रेस ने भी इसके पक्ष में समर्थन दिया है।
भारत में आरक्षण हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है। भारतीय राजनीति जाति और आरक्षण के इर्द-गिर्द घूमती है। कई पार्टियाँ जाति विशेष के नाम पर बनी हैं। जब भी किसी ने देश में आरक्षण और जाति की व्यवस्था को बदलने की कोशिश की, उसके खिलाफ जातिगत समूहों ने अपनी आपत्ति दर्ज की। आज भारत बंद का आह्वान भी इसी एक बदलाव के फैसले का परिणाम है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति एवं जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर और कोटा के भीतर कोटा लागू करने के फैसले के खिलाफ दलित-आदिवासी संगठनों ने बुधवार को 14 घंटे के लिए भारत बंद का आह्वान किया है। नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशंस नामक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दलित और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है और केंद्र सरकार से इसे रद्द करने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला – ‘सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 6-1 के बहुमत से फैसला दिया कि राज्यों को आरक्षण के लिए कोटा के भीतर कोटा बनाने का अधिकार है। यानी राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के लिए सब-कैटेगरी बना सकती हैं, ताकि सबसे जरूरतमंद को आरक्षण में प्राथमिकता मिल सके। राज्य विधानसभाएं इसे लेकर कानून बनाने में सक्षम होंगी। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के अपने पुराने फैसले को पलट दिया है। हालांकि, कोर्ट का यह भी कहना था कि सब-कैटेगरी का आधार उचित होना चाहिए। कोर्ट का कहना था कि ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है। कोर्ट ने यह साफ कहा था कि SC के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दिया जा सकता है। इसके अलावा, SC में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए।’
राजनीतिक पार्टियाँ आंदोलन में सक्रिय-
जब इस आंदोलन का आह्वान किया गया तब देश की राजनीतिक पार्टियों ने इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, भीम आर्मी, आरजेडी – ये सभी पार्टियाँ इस आंदोलन को अपना समर्थन दे रही हैं। इन पार्टियों के कार्यकर्ता देश के अलग-अलग हिस्सों में फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
समुदायों की मांग:
- संगठन द्वारा सरकारी नौकरियों में पदस्थ एससी, एसटी और ओबीसी कर्मचारियों का जातिगत आंकड़ा जारी करने और भारतीय न्यायिक सेवा के जरिए न्यायिक अधिकारी और जज नियुक्त करने की मांग।
- केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सभी बैकलॉग रिक्तियों को भरा जाए। सरकारी प्रोत्साहन या निवेश से लाभान्वित होने वाली निजी क्षेत्र की कंपनियों को अपनी फर्मों में सकारात्मक कार्रवाई की नीतियां लागू करनी चाहिए।
- संसद में एक नए अधिनियम को पारित किए जाने का भी आह्वान कर रहे हैं, जिसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करके संरक्षित किया जाए। उनका तर्क है कि इससे इन प्रावधानों को न्यायिक हस्तक्षेप से सुरक्षा मिलेगी और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा मिलेगा।
- समाज के सभी वर्गों से न्यायिक अधिकारियों और जजों की भर्ती के लिए एक भारतीय न्यायिक सेवा आयोग की भी स्थापना की जाए ताकि हायर जुडिशियरी में SC, ST और अन्य पिछड़े वर्गों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।
केंद्र सरकार का फैसले पर रुख-
जब सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर पर अपना फैसला सुनाया था, तब कई दलित, पिछड़ी जाति और जनजाति के नेता प्रधानमंत्री से मिले। सभी नेताओं ने पीएम से क्रीमीलेयर के फैसले को लागू न करने की अपील की। उस समय पीएम ने ऐसे किसी भी तरह के नियम को लागू न करने का आश्वासन दिया। केंद्र का रुख साफ है कि वे आरक्षण में किसी भी तरह का बदलाव नहीं करेंगे।
आश्वासन के बाद भी प्रदर्शन-
पीएम ने साफ कर दिया है कि वे आरक्षण को किसी भी तरह की हानि नहीं होने देंगे। उसके बावजूद आज भारत बंद का आह्वान किया गया है। इससे साफ दिखाई दे रहा है कि कुछ दल जातियों के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकना चाहते हैं। इस तरह जातियों को आरक्षण के खिलाफ भड़का कर वे अपने रास्ते को साफ करना चाहते हैं। जिस तरह अंग्रेजों ने “तोड़ो और राज करो” की राजनीति की थी, उसी तरह आज कुछ दल देश को जातियों में तोड़ कर राज करना चाहते हैं। वे भारत की आत्मा को छिन्न-भिन्न करना चाहते हैं।
Team Profile
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- Freelance Journalist
- Himanshu Sangliya, holding a degree in Journalism at the graduation level and a postgraduate degree in Economics, is characterized by a strong work ethic and a persistent eagerness to acquire new skills. Journalism holds a special place in his heart, and he envisions his future flourishing within this dynamic field.
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