23 February 2025

कई फार्मा कंपनियों की एंटीबायोटिक दवाइयाँ गुणवत्ता परीक्षण में रही विफल

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Image Source: Aaj Tak

कोलकाता में स्थित एक सरकारी प्रयोगशाला में कई फार्मा कंपनियों की दवाओं का गुणवत्ता परीक्षण किया गया। परीक्षण में अल्केम हेल्थ साइंस की एंटीबायोटिक – क्लैवम 625 और Pan D जैसी कई दवाइयों को मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया। हैदराबाद स्थित हेटेरो की सेपोंडेम XP 50 ड्राई सस्पेंशन भी गुणवत्ता मापदंडों पर खरी नहीं उतरी।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) भारत में सभी प्रकार की दवाइयों की गुणवत्ता का परीक्षण करता है। CDSCO ने हर दवाइयों के कुछ मापदंड तय किए हैं। अगर दवा उन मापदंडों के मानकों पर खरी नहीं उतरती, तो उन दवाइयों को बाजार में उतरने की अनुमति नहीं होती। CDSCO द्वारा अगस्त में किए गए गुणवत्ता परीक्षण में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, विटामिन, कैल्शियम D3 सप्लीमेंट, बच्चों में बैक्टीरियल संक्रमण, एसिड रिफ्लक्स और पेट संक्रमण की कई दवाइयाँ गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहीं।

इन दवाइयों को गुणवत्ता मानकों में अपूर्ण पाया गया:

  • पैरासीटामोल टैबलेट: पैरासीटामोल टैबलेट आम तौर पर हर घर में इस्तेमाल होती है। यह दवा हल्के बुखार और पेन किलर के रूप में दी जाती है। यह दवाई प्राथमिक उपचार में इस्तेमाल की जाती है। कई बार आम जनता इसे डॉक्टर के निर्देश के बिना उपयोग करती है। अगर यह दवा बिना गुणवत्ता मानक पर खरे उतरे बाजार में आ जाए, तो यह काफी हानिकारक हो सकती है।
  • ग्लाइमेपिराइड: यह एंटीबायोटिक अल्केम हेल्थ साइंस ने बनाई है। इस दवा का उपयोग शुगर के इलाज के लिए किया जाता है।
  • टेल्मा H (टेल्मिसर्टान 40 mg): ग्लैनमार्क की यह दवा बीपी के इलाज में इस्तेमाल की जाती है।
  • अल्केम हेल्थ साइंस की यह दवा एसिड रिफ्लक्स के इलाज में इस्तेमाल की जाती है।
  • शेल्कल C और D3 कैल्शियम सप्लीमेंट: इस दवा को PURE AND CURE हेल्थकेयर द्वारा बनाया गया है और टोरेंट फार्मास्यूटिकल द्वारा वितरित किया गया है। यह दवा भी गुणवत्ता मापदंडों पर खरी नहीं उतरी।
  • क्लैवम 625: यह एक एंटीबायोटिक दवा है। यह दवा भी गुणवत्ता मापदंडों पर खरी नहीं उतरी।
  • सेपोंडेम XP 50 ड्राई सस्पेंशन: यह दवा बच्चों में गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज में दी जाती है। हैदराबाद की हेटेरो कंपनी ने यह दवा बनाई है।
  • पुलमोसिल: इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए यह दवा दी जाती है। इसे सन फार्मा द्वारा बनाया गया है।
  • पेन्टोसाइड: यह दवा भी सन फार्मा द्वारा बनाई गई है। यह दवा एसिडिक और रिफ्लक्स के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है।
  • अरसोकोल 300: सन फार्मा की यह दवा गुणवत्ता मानकों में खरी नहीं उतरी।
  • डेफकोर्ट 6: मैकलाएड्स फार्मा की यह दवा गठिया के इलाज के लिए दी जाती है।

ये सभी दवाइयाँ CDSCO की गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं। CDSCO की रिपोर्ट आने के बाद सभी फार्मा कंपनियों ने दावा किया कि जिन दवाओं का परीक्षण हुआ है, वे उनके द्वारा निर्मित बैच की नहीं हैं। उनका यह भी कहना है कि जिन दवाइयों का परीक्षण हुआ है, वे सभी नकली हैं। कंपनियाँ इस मामले में जांच के नतीजों का इंतजार कर रही हैं। CDSCO ने कहा है कि नियमित एजेंसी नकली दवाओं की जांच कर रही है। जांच रिपोर्ट में पता चलेगा कि ये दवाइयाँ नकली हैं या इन्हें गुणवत्ता मानकों से समझौता करके बनाया गया है। जब तक रिपोर्ट नहीं आती, तब तक इन सभी दवाइयों पर रोक लगा दी गई है। गुणवत्ता में विफल दवाइयाँ मरीजों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकती हैं। इन दवाइयों के कई तरह के साइड इफेक्ट्स होते हैं, जो मरीज के चिकित्सा उपचार को प्रभावित करते हैं। उम्मीद है CDSCO दवा बाजार और फार्मा कंपनियों पर सख्त निगरानी रखेगा ताकि आने वाले समय में मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ न हो।

Team Profile

Himanshu Sangliya
Himanshu SangliyaFreelance Journalist
Himanshu Sangliya, holding a degree in Journalism at the graduation level and a postgraduate degree in Economics, is characterized by a strong work ethic and a persistent eagerness to acquire new skills. Journalism holds a special place in his heart, and he envisions his future flourishing within this dynamic field.

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